//श्री राम जी की आरती//
जय जय प्रभु श्री रामा, स्वामी जय श्री राम ।
अखिल सृष्टि के स्वामी, परम शांति के धामा ।।
भूमि भार उद्धारक, भक्तों के प्रिय कंता ।
दयावंत जन पालक, दीन सखा भगवंता ।।
मानव तन धारण कर, मर्यादा सीखाये।
तन मन पर अनुशासन, करके आप दिखाये ।।
उपल अहिल्या पग दे, अबला नार तारे ।
गौतम के श्राप मेट, उनके भाग सवारे ।।
पुनित प्रेम से पुलकित, केवट को सखा किये ।
चरण नीर अति दुर्लभ, सहर्ष ही दान दिये ।।
प्रेम बेर शबरी के, रूचि रूचि भोग लगाये ।
नवधा भक्ति दया कर, शबरी को समझाये ।।
तुम्हरे सेवा करने, हनुमान गुणी आये ।
पाय दया वह तेरे, तुझको हृदय बिठाये ।।
सुग्रीव दीनता लख, उनसे मित्रता किये ।
शरण लिये विभीषण को, लंका के राज दिये ।।
शरणागत वत्सल प्रभु, आरती सुन लीजिए ।
आय शरण हम तुहरे, निज भक्ति दीजिए ।।
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